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kushinagar International Airport# कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपका स्‍वागत है...

- बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहें हैं उद्धघाटन   विवेक राव, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपका स्‍वागत है। उत्‍तर प्रदेश का सबसे लंबा रनवे वाले  एयरपोर्ट के चारों तरफ से हरियाली ही हरियाली है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार यानी 20 अक्‍टूबर को इसका उद्धघाटन करेंगे।  इसके साथ देश.विदेश के लोगों के लिए इसे खोल दिया जाएगा।  गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, देवरिया सहित बिहार के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लाखों करोड़ों लोग भगवान गौतमबुद्ध के महापरिनिर्वाण स्‍थल पर बने इस एयरपोर्ट का सालों से इंतजार कर रहे थे। कभी इस एयरपोर्ट पर कार और बाइक को लोग चलाना सीखते थे। अब यहां से हवाई उड़ान शुरू होगी। कुशीनगर जिले के लाखों लोगों की पहचान को राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर यह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहचान भी दिलाएगा। साथ ही विदेश से लेकर देश के हर कोने की उड़ान कुशीनगर से हो सकेगी।   ऐसा है कुशीनगर का एयरपोर्ट  कुशीनगर का इंटरनेशनल एयरपोर्ट 3.2 किलोमीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा है। इसके रनवे की क्षमता आठ फ्लाइट है। 260 करोड़ की लागत से य...

How to make a news story: कैसे एक स्‍टोरी तैयार करें ?

लेसन - 4   कैसे एक  स्‍टोरी  तैयार करें ?  यहां  स्‍टोरी  का मतलब यह नहीं है कि हमें कोई कहानी लिखनी है। पत्रकारिता में  न्‍यूज  को भी हम  स्‍टोरी  कहते हैं। जिसमें हार्ड न्‍यूज, किसी का  व्‍यू  के साथ  वैल्‍यू  एडिशन किया जाता है। पत्रकारिता में खासकर नए युवा और कुछ पुराने लोगों के सामने  स्‍टोरी  तैयार करने में परेशानी आती है। यहां पर कैसे एक  स्‍टोरी  तैयार की जाती है। उसकी पूरी प्रक्रिया अलग- अलग बताया है।  उम्‍मीद  है कि पत्रकारिता के  स्‍टूडेंट्स  को कुछ जरूर मिलेगा। दिमाग में पहले एक आइडिया लाइए सबसे पहले कोई आइडिया दिमाग में बनाइए कि हमें फला चीज पर  स्‍टोरी  तैयार करनी है। आइडिया ऐसा हो, जिसका एंगिल पूरी तरह से  स्‍पष्‍ट  होना चाहिए। रिसर्च कीजिए दिमाग में आइडिया आने के बाद उस विषय को लेकर प्रारंभिक तौर पर एक रिसर्च भी जरूरी है। जिसमें आप सोच सकते हैं कि इस  स्‍टोरी  में  क्‍या  होना चाहिए। इसे करना  क्‍यों  जरूरी ह...

हम हिंदी वाले ऐसे ही हैं

 अगर हम हिंदी में किसी से बात करें तो हिंदी में ही करें। बेवजह हिंदी में अंग्रेजी के शब्द डालने की जरूरत नहीं है। या फिर अंग्रेजी में ही बात करें। हम अंग्रेजी के चक्कर में कई हिंदी के शब्द भूलते जा रहें हैं। आश्चर्य होता है कि आज हिंदी पढ़ाने वाले भी रोमन में हिंदी पढ़ा रहें हैं।  पांच मिनट भी बहुत से लोग सही तरीके हिंदी  नहीं बोल पाते फिर बहाना कि मेरी हिंदी कमजोर है।  यह कह कर हिन्दीवाले ही खुश होते हैं। ऐसे लोगों की अंग्रेजी भी कभी सुनिएगा... एक परिचित  डॉक्टर हैं उनके बेटे को पब्लिक स्कूल में हिंदी बोलने पर जमकर डांट लगी। डॉक्टर पिता स्कूल पहुँचे तो उन्हें भी खूब सुनने को मिला। फिर क्या डॉक्टर साहब ने ऐसी अंग्रेजी बोली कि प्रिंसिपल साहब चुप। डॉक्टर साहब यहीं नहीं रुके बोले कि हिंदी बोलने वाले अपने बेटे को वह एमबीबीएस  करा कर रहेंगे।आज उनका बेटा एमडी कर दिल्ली एम्स में है। डाक्टर साहब कहते हैं कि अंग्रेजी में भले डाक्टरी की पढ़ाई की इलाज तो अपनी भाषा में करनी है। पढ़े लिखे मरीज भी हिंदी में ही मर्ज की दवा समझते हैं। जिस भाषा में सहज हैं उसी में बोलिए...

News from the speech of netaji : गा.. गे.. गी है तो खबर नहीं

  भाषण की कैसे करें रिपोर्टिंग    लेसन 3  नेता, अभिनेता, या किसी महत्‍वपूर्ण व्‍यक्‍ति का भाषण का कवरेज करना भी एक कला है पत्रकारिता में। जहां सतर्क रहने की जरूरत होती है। क्‍योंकि वक्‍ता पर रिपोर्टर का कोई नियंत्रण नहीं होता है, और नहीं वक्‍ता जो भाषण देते हैं वह समाचार लेखन की शैली में होते हैं। यहां रिपोर्टर को भाषण में नया, महत्‍वपूर्ण और असाधारण बिंदुओं का ध्‍यान रखना चाहिए।  भाषण से पहले तैयारी   वक्‍ता का परिचय पृष्ठभूमि, विशेषज्ञता,   कृतित्व    को अच्‍छे से जान लें। भाषण के विषय की जानकारी रखें। अवसर क्‍या है आयोजन और उससे अपेक्षाएं, स्‍थानीय महत्‍व के एंगल को पहले ही कर लेना चाहिए।  भाषण के दौरान  नोट्स जरूर लीजिए,  माहौल पर निगाह रखिए, इसमें भीड़ के उत्‍साह को भी नजर रखना चाहिए। अगर संभव हो तो वक्‍ता से अलग से बात भी कीजिए।  भाषण के बाद   पहले विचार कीजिए। भाषण के महत्‍वपूर्ण बिंदु को इंट्रो में आना चाहिए। अन्‍य महत्‍वपूर्ण बात समाचार के बाडी में आना चाहिए। महत्‍वपूर्ण उददहरण, कोई खास प्रसंग, घटना...

what is news: खबर क्‍या है

लेसन -1  खबर क्‍या है   खबर रोचक हो, जरूरी नहीं है कि वह महत्‍वपूर्ण भी हो। एक अखबार हर दिन करीब  साढ़े चार लाख शब्‍दों की खबरें प्राप्‍त करता है। जो रिपोर्टर लिखकर देते हैं। अगले दिन जब अखबार छपकर आता है तो करीब दो लाख शब्‍दों की खबर को ही वह पाठकों के पास पेश कर पाता है। इसमें पत्रकार का केवल दो काम होता है। पहला किसी घटना की रिपोर्ट करना है।  दूसरा व्‍याख्‍या पेश करना और खबर पर आधारित राय बनाना।  खबर दो तरह से  खबर दो तरह से लिखते हैं।  सीधी खबर या फिर विश्‍लेषित और  खोजी खबर।  सीधी खबर में जो कुछ घटा है, उसे पेश कर देते हैं। यह तथ्‍यपूर्ण और स्‍पष्‍ट होती है। इस तरह की खबर लिखते समय खबर में कोई सुझाव नहीं होता है। खबर गहराई में नहीं ले जाती है। इसमें केवल सतह पर घटित घटना की रिपोर्ट होती है। जबकि खोजी या विश्‍लेषणपूर्ण खबरें इसी दावे की छानबीन करेगी, गहराई में जाकर विश्‍लेषण करेगी। उसकी प्रामाणिकता की पड़ताल करेगी। इस तरह की खबर में निष्‍पक्ष ढंग से सभी पक्षों और परिस्‍थितियों को पेश किया जाता है। जो खबर को एक अर्थ देता है। पाठक सभी पहलू ...

If you want to do jouranlism : अगर आप केवल पत्रकारिता करना चाहते हैं तो आइए पत्रकारिता करते हैं

 पत्रकारिता - रिपोर्टिंग कैसे करें    मीडिया कोई भी हो, प्रिंट, इलेक्‍ट्रानिक, वेब या फिर सोशल। सभी के मूल में लेखन और प्रस्‍तुतिकरण ही है। उसके लिए हम कैसे अच्‍छे कंटेंट न्‍यूज के रूप में सामने लाएं। यह एक सबसे महत्‍वपूर्ण बिंदु है। पत्रकारिता के संस्‍थानों में तकनीकी ज्ञान, पत्रकारिता के भूत और भविष्‍य की चर्चा तो होती है। लेकिन न्‍यूज रूम में भीतर, फील्‍ड में जाकर न्‍यूज लाने की तकनीकी पर गहराई से बात नहीं होती है नतीजा पत्रकारिता में उंची डिग्री लेने के बाद जब युवा या युवती किसी मीडिया हाउस में जाते हैं तो हकीकत से सामना होने पर पांव से जमीन खिसकने जैसी स्‍थिति रहती है। पत्रकारिता को प्रोफेशन बनाने वाले युवाओं के लिए कुछ व्‍यवहारिक बातें सींखनी जरूरी है। मैं यह नहीं कहता है कि यही तकनीकी ही अंतिम है। लेकिन अपने अनुभव और वरिष्‍ठों से जो सीखने को मिला, वह आज और आने वाले समय में भी रिपोर्टिंग का एक मार्गदर्शक जरूर है।  यहां पत्रकारिता के इतिहास, भूगोल की चर्चा नहीं होगी। बस रिपोर्टिंग के तौर तरीके पर बात है। पत्रकारिता में करियर बनाना चाहते हैं तो कंप्‍यूटर पर न्‍यू...

Mony:पैसा, जिदंगी और मौत

पैसा क्या है कुछ लोग कहते हैं ये तो हाथ का मैल है, पैसा ही सब कुछ नहीं, पैसा भगवान नहीं लेकिन भगवान से कम नहीं। ये कुछ बातें पैसे को लेकर अक्सर सुनी जाती है। लेकिन वास्तव में पैसा है क्या, मुझे लगता है पैसा एक ऐसी चीज है, जिससे हम अपनी जिदंगी की गाड़ी को चला सके। अपनी आवश्यकताएं  पूरी कर सकें। बस, इससे बढ़कर पैसा कुछ नहीं। और यहीं पैसा जब जिदंगी नहीं मौत का कारण बन जाए तो ऐसे पैसे का क्या औचित्य।  जिदंगी कम नहीं  जिदंगी बेशकीमती होती है। मान लीजिए कभी आप बीमार होते हैं, सारी चीजें आपके आसपास होकर भी आप कुछ नहीं कर सकते। लाख स्वादिष्ट पकवान हो, आप खा नहीं सकते, दुनियां की खूबसूरती को देखना चाहेंगे लेकिन वह अच्छा नहीं लगेगा। और कहीं कोई ऐसी बीमारी हो जाए और उसका कोई इलाज न हो, चाहें आप करोड़ों खर्च कर दें, फिर भी कुछ नहीं हो सकता है। ऐसे में हम किसे बड़ा कहेंगे पैसा या जिदंगी, मुझे लगता है कि जिदंगी की कोई कीमत नहीं लगा सकता है। ऐसे लोग जो पैसे के लिए अपनी जिदंगी को दांव पर लगाते हैं, वह शायद इसके विषय में नहीं सोचते हैं।  अब मौत की बात सुने  मौत जिदंगी की एक स...