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एम्बर: लाखों साल पुरानी ज़िंदगी की सुनहरी खिड़की

कल्पना कीजिए , एक पारदर्शी पत्थर जिसमें बंद हो एक फूल की पंखुड़ी, एक मच्छर की टांग या किसी अज्ञात कीड़े की पूरी काया। यह पत्थर कोई साधारण चीज़ नहीं, बल्कि लाखों साल पहले बहा हुआ पेड़ का रेज़िन (resin) है, जिसे आज हम एम्बर कहते हैं। यह सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि समय का एक कैप्सूल है, जिसमें बंद हैं धरती के इतिहास के बेशकीमती राज। एम्बर क्या है? एम्बर असल में पेड़ का वह रेज़िन (गोंद) है, जो उसने खुद को बचाने के लिए निकाला—कभी किसी जख्म पर मरहम लगाने के लिए, कभी कीड़े-मकोड़ों से लड़ने के लिए या कभी मौसम की मार से खुद को बचाने के लिए। यह रेज़िन ज़मीन पर गिरता है, वहां गाद और मिट्टी में दब जाता है, और लाखों सालों बाद वह कठोर होकर एम्बर में बदल जाता है। भारत में एम्बर की कहानी भारत में एम्बर का अध्याय शुरू हुआ गुजरात के खंभात (Cambay) की वसतान लिग्नाइट माइंस से, जब 20 साल पहले युवा वैज्ञानिक हुकुम सिंह ने एक चमकदार पत्थर पाया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के मशहूर पैलियॉन्टोलॉजिस्ट डॉ. अशोक साहनी को दिखाया, जिन्होंने तुरंत पहचान लिया कि ये एम्बर है। यहीं से भारत में...