एक नाम, एक आंदोलन भारत के इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं जो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार बन जाते हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर ऐसा ही एक नाम हैं। वे न केवल भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि करोड़ों दलितों, वंचितों और शोषितों की आवाज भी थे। उनके विचार, संघर्ष और दृष्टिकोण ने भारत के सामाजिक ढांचे को हिलाकर रख दिया। आंबेडकर को जानना, भारत के उस पक्ष को जानना है जिसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। "Waiting for a Visa" : एक आत्मकथा, एक दस्तावेज़ डॉ. आंबेडकर की आत्मकथा "Waiting for a Visa" कोई साधारण आत्मकथा नहीं है। यह उनके जीवन के अनुभवों का संकलन है, जो भारतीय समाज में जातिवाद के विष को बेनकाब करता है। बचपन की घटनाएं, छात्र जीवन की कठिनाइयाँ, सामाजिक अपमान और अधिकारों की तलाश—हर पंक्ति उनके दर्द, संघर्ष और संकल्प की गवाही देती है। बैलगाड़ी की घटना: एक बच्चा, एक घाव जब वे अपने भाई-बहनों के साथ सतारा से कोरेगांव जा रहे थे, तब एक गाड़ीवान ने "अछूत" जानकर उन्हें बैलगाड़ी से उतार दिया। एक मासूम बच्चे के लिए यह पहला सामाजिक झटका था। यह अनुभव न केवल अपमानजनक...
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