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आपन बोली भोजपुरी

भोजपुरी भाषा: इतिहास, साहित्य आ प्रमुख कवि भोजपुरी भारत के प्रमुख भाषन में से एक बा, जवन खास तौर पर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, बिहार के पश्चिमी भाग, झारखंड के कुछ इलाका, आ नेपाल के तराई क्षेत्र में बोलल जाला। एही के अलावा, दुनियाभर में, खास कर के मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना, सूरीनाम, फिजी, आ कैरिबियन देसवा में भी भोजपुरी बोले वाला लोग रहेला। भोजपुरी भाषा देवनागरी लिपि में लिखल जाला, बाकिर कई ठे जगह रोमन लिपि में भी लिखे के प्रचलन बा। भोजपुरी भाषा अपन मिठास, सहजता आ अपन लोकगीतन खातिर जानल जाला। भोजपुरी भाषा के इतिहास भोजपुरी भाषा के जड़ संस्कृत आ प्राकृत भाषा से जुड़ल बा। एह भाषा के विकास में अवधी, मगही आ मैथिली भाषा के भी असर पड़ल बा। एह भाषा के प्राचीनता एही से भी साबित होला कि 11वीं-12वीं शताब्दी के कुछ साहित्यिक प्रमाण भोजपुरिए भाषा में मिलेला। भोजपुरी भाषा के प्रचलन स्वतंत्रता संग्राम में भी देखे के मिलेला। खुद महात्मा गांधी भी भोजपुरिए भाषा में कई ठे भाषण देले रहलें। भोजपुरी साहित्य के स्वरूप भोजपुरी साहित्य के खासियत ई बा कि ई जन-जन के भाषा बा। एह भाषा में लोकगीत...

जब विधान सभा में सुनाई देगी का हो विधायक जी

 का हो विधायक जी, हमार इलाका में सड़क बनत की नाही? उत्तर प्रदेश की बोलियां और विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ऐतिहासिक निर्णय उत्तर प्रदेश न केवल अपनी संस्कृति और विरासत के लिए मशहूर है, बल्कि यहां की बोलियों की विविधता भी इसे अनोखा बनाती है। यह राज्य जितना विशाल है, उतनी ही इसकी भाषाई पहचान भी समृद्ध है। यहां भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेली, कन्नौजी, बघेली, हरियाणवी, पहाड़ी, खड़ी बोली जैसी कई क्षेत्रीय बोलियां जीवंत रूप से प्रचलित हैं। लेकिन, अब तक यह बोलियां आमजन के संवाद का हिस्सा तो थीं, मगर विधानसभा की चर्चाओं में इन्हें वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वे हकदार थीं। इस बार विधानसभा के  बजट सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भोजपुरी, अवधी, बुंदेली और ब्रज जैसी प्रमुख बोलियों में चर्चा की अनुमति दे दी है। यह निर्णय प्रदेश की भाषाई धरोहर को सहेजने और स्थानीय संवाद को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।   प्रदेश की प्रमुख बोलियां: भाषाई धरोहर की झलक यूपी को इसकी अलग-अलग बोलियां एक सांस्कृ...

आइए अपनी सेहत के लिए कुछ बात करते हैं...

स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle)  लोग आजकल बेहतर स्वास्थ्य, फिटनेस और मानसिक शांति की तलाश में रहते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस थोड़ी सी जागरूकता और नियमितता की जरूरत है। जब आप इन आदतों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेंगे, तो न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि मानसिक शांति भी बनी रहेगी। तो आज ही से शुरुआत करें और खुद को एक बेहतर, खुशहाल और स्वस्थ जीवन का तोहफा दें। --- स्वस्थ जीवनशैली: क्यों है यह आज की जरूरत? आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। खराब खानपान, तनाव और शारीरिक निष्क्रियता ने लोगों की सेहत पर गहरा असर डाला है। ऐसे में स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बेहद जरूरी हो गया है। लेकिन सवाल उठता है कि इसे कैसे अपनाया जाए? इस लेख में हम आपको आसान और रोचक तरीके से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के टिप्स देंगे। --- 1. सही खानपान (Balanced Diet) खानपान का सीधा असर हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। जंक फूड की जगह पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। क्या खाएं: मौसमी फल और सब्जियां होल ग...

दुनिया के टॉप 10 प्रोफेशन और उसके मजेदार पहलू

आज के जमाने में हर कोई बेहतर करियर की तलाश में है। लेकिन हर प्रोफेशन की अपनी समस्याएं और मजेदार पहलू होते हैं। आइए दुनिया के टॉप 10 प्रोफेशन की असलियत पर थोड़ा हंसी-मजाक करें। - 1. डॉक्टर: भगवान का असली प्रतिनिधि या बटुआ हल्का करने वाला? डॉक्टर का काम इंसान को जिंदगी देना है, लेकिन फीस सुनकर मरीज की सांसें रुक जाती हैं। ऑपरेशन से पहले मरीज को सांत्वना दी जाती है ,आपकी जिंदगी हमारे हाथ में है। और ऑपरेशन के बाद बिल थमाते वक्त अब आपकी जेब भी हमारे हाथ में है। --- 2. इंजीनियर: पुल बनाएंगे या रिश्ते तोड़ेंगे? इंजीनियर हर समस्या का समाधान जुगाड़ में ढूंढ लेते हैं। घर वाले हमेशा पूछते हैं, बेटा, सरकारी नौकरी लगी? और इंजीनियर मन में सोचता है, भई, मुझे कोडिंग का पुल बनाने से फुर्सत मिले तो सोचूं। - 3. वकील: इंसाफ का ठेकेदार या बातों का जादूगर? वकील का काम है सच को इतना उलझा देना कि जज भी सोचने लग जाए  भाई, ये सच था या झूठ? कोर्ट में उनकी बहस सुनकर यही लगता है कि ये तो काव्यपाठ प्रतियोगिता जीत सकते हैं। --- 4. टीचर: ज्ञान का समुद्र या स्कूल की घंटी का इंतजार करने वाला टीचर बच्चों को भविष्य क...

अभिनेत्री से संन्यासिनी तक - ममता कुलकर्णी

बालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने ‘तिरंगा’, ‘करन-अर्जुन’, और आशिक आवारा’ जैसी हिट फिल्मों के जरिए अपनी पहचान बनाई, आज संन्यास के मार्ग पर चलते हुए नई चर्चा का विषय बन गई हैं। उनका यह निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाता है, बल्कि जीवन के उस पहलू को उजागर करता है, जो सांसारिक मोह से ऊपर उठकर आत्मिक शांति की तलाश में समर्पित है। 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में जन्मीं ममता कुलकर्णी ने 1992 में फिल्म ‘तिरंगा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनका स्टारडम शिखर पर था, लेकिन उन्होंने 2002 में बालीवुड से अचानक दूरी बना ली। इसके बाद उनका नाम ड्रग्स माफिया और अंडरवर्ल्ड से जुड़ा, जिसने उनकी छवि पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया। लंबे समय तक विदेश में रहने के बाद, उनका यह निर्णय कि वे संन्यास लेंगी, निश्चित रूप से चौंकाने वाला था। महाकुंभ के पवित्र अवसर पर ममता कुलकर्णी ने संगम में डुबकी लगाकर विधि-विधान से पिंडदान किया और गृहस्थ जीवन का त्याग कर संन्यासिनी बन गईं। किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की और नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि दिया। यह केवल एक धार्म...

धर्म: आस्था का मार्ग या प्रदर्शन का माध्यम?

 धर्म, एक ऐसा शब्द है जो हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी रूप में मौजूद होता है। यह आस्था, नैतिकता और मानवीय मूल्यों का आधार है। धर्म न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को विकसित करता है, बल्कि समाज को एकजुटता और सद्भावना के सूत्र में बांधता है। लेकिन यह प्रश्न सदैव विचारणीय रहा है कि क्या धर्म को प्रदर्शित करना आवश्यक है? क्या धर्म की महत्ता प्रदर्शन और दिखावे से मापी जा सकती है? धर्म का वास्तविक अर्थ धर्म का अर्थ है सत्य, करुणा, न्याय, और कर्तव्य। यह न तो किसी विशेष कर्मकांड तक सीमित है और न ही किसी बाहरी प्रदर्शन का मोहताज। धर्म का उद्देश्य व्यक्ति को आत्मा से जोड़ना और उसे अपने भीतर की सच्चाई से परिचित कराना है।  गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: "सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।"अर्थात, सभी आडंबर छोड़कर केवल ईश्वर की शरण में जाओ। क्या धर्म का प्रदर्शन आवश्यक है? धर्म प्रदर्शन का विषय नहीं, बल्कि आंतरिक अनुभूति का विषय है। किसी व्यक्ति का धर्म उसके आचरण और व्यवहार में दिखना चाहिए, न कि केवल बाहरी आडंबर और रीति-रिवाजों में। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति मंदिर में निय...

कितना लूटा हैं अंग्रेजों ने यह रिपोर्ट आंख खोलने वाली है।

  भारत से ब्रिटिश लूट: एक अमूल्य धरोहर का खोया वैभव भारत कभी "सोने की चिड़िया" कहा जाता था, लेकिन अंग्रेजों की लूट ने इसे अपनी समृद्धि और पहचान दोनों से वंचित कर दिया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ब्रिटिश राज ने न केवल भारत के संसाधनों को लूटा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आर्थिक जड़ों को भी हिलाकर रख दिया। ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट इस ऐतिहासिक अन्याय पर नया प्रकाश डालती है।1765 से 1900 के बीच अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति ब्रिटेन भेजी। यह राशि इतनी बड़ी थी कि लंदन जैसे शहर को 50 पाउंड के नोटों से चार बार ढका जा सकता था। यह तथ्य केवल भारत के शोषण की भयावहता को उजागर नहीं करता, बल्कि उपनिवेशवाद की विनाशकारी नीति की भी कहानी सुनाता है। भारत की समृद्धि से ब्रिटेन की समृद्धि तक अंग्रेजों के आगमन से पहले, भारत विश्व का सबसे धनी और शक्तिशाली देशों में से एक था। यहां का कपड़ा, मसाले और आभूषण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे। 1750 में, वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत का हिस्सा 25% था। लेकिन अंग्रेजों ने नीतिगत और आर्थिक तरीकों से भारत को इतना कमजोर कर दिया ...