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अभिनेत्री से संन्यासिनी तक - ममता कुलकर्णी

बालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जिन्होंने ‘तिरंगा’, ‘करन-अर्जुन’, और आशिक आवारा’ जैसी हिट फिल्मों के जरिए अपनी पहचान बनाई, आज संन्यास के मार्ग पर चलते हुए नई चर्चा का विषय बन गई हैं। उनका यह निर्णय न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाता है, बल्कि जीवन के उस पहलू को उजागर करता है, जो सांसारिक मोह से ऊपर उठकर आत्मिक शांति की तलाश में समर्पित है। 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में जन्मीं ममता कुलकर्णी ने 1992 में फिल्म ‘तिरंगा’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनका स्टारडम शिखर पर था, लेकिन उन्होंने 2002 में बालीवुड से अचानक दूरी बना ली। इसके बाद उनका नाम ड्रग्स माफिया और अंडरवर्ल्ड से जुड़ा, जिसने उनकी छवि पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया। लंबे समय तक विदेश में रहने के बाद, उनका यह निर्णय कि वे संन्यास लेंगी, निश्चित रूप से चौंकाने वाला था। महाकुंभ के पवित्र अवसर पर ममता कुलकर्णी ने संगम में डुबकी लगाकर विधि-विधान से पिंडदान किया और गृहस्थ जीवन का त्याग कर संन्यासिनी बन गईं। किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की और नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि दिया। यह केवल एक धार्म...

धर्म: आस्था का मार्ग या प्रदर्शन का माध्यम?

 धर्म, एक ऐसा शब्द है जो हर व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी रूप में मौजूद होता है। यह आस्था, नैतिकता और मानवीय मूल्यों का आधार है। धर्म न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को विकसित करता है, बल्कि समाज को एकजुटता और सद्भावना के सूत्र में बांधता है। लेकिन यह प्रश्न सदैव विचारणीय रहा है कि क्या धर्म को प्रदर्शित करना आवश्यक है? क्या धर्म की महत्ता प्रदर्शन और दिखावे से मापी जा सकती है? धर्म का वास्तविक अर्थ धर्म का अर्थ है सत्य, करुणा, न्याय, और कर्तव्य। यह न तो किसी विशेष कर्मकांड तक सीमित है और न ही किसी बाहरी प्रदर्शन का मोहताज। धर्म का उद्देश्य व्यक्ति को आत्मा से जोड़ना और उसे अपने भीतर की सच्चाई से परिचित कराना है।  गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: "सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।"अर्थात, सभी आडंबर छोड़कर केवल ईश्वर की शरण में जाओ। क्या धर्म का प्रदर्शन आवश्यक है? धर्म प्रदर्शन का विषय नहीं, बल्कि आंतरिक अनुभूति का विषय है। किसी व्यक्ति का धर्म उसके आचरण और व्यवहार में दिखना चाहिए, न कि केवल बाहरी आडंबर और रीति-रिवाजों में। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति मंदिर में निय...

कितना लूटा हैं अंग्रेजों ने यह रिपोर्ट आंख खोलने वाली है।

  भारत से ब्रिटिश लूट: एक अमूल्य धरोहर का खोया वैभव भारत कभी "सोने की चिड़िया" कहा जाता था, लेकिन अंग्रेजों की लूट ने इसे अपनी समृद्धि और पहचान दोनों से वंचित कर दिया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ब्रिटिश राज ने न केवल भारत के संसाधनों को लूटा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आर्थिक जड़ों को भी हिलाकर रख दिया। ऑक्सफैम की हालिया रिपोर्ट इस ऐतिहासिक अन्याय पर नया प्रकाश डालती है।1765 से 1900 के बीच अंग्रेजों ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति ब्रिटेन भेजी। यह राशि इतनी बड़ी थी कि लंदन जैसे शहर को 50 पाउंड के नोटों से चार बार ढका जा सकता था। यह तथ्य केवल भारत के शोषण की भयावहता को उजागर नहीं करता, बल्कि उपनिवेशवाद की विनाशकारी नीति की भी कहानी सुनाता है। भारत की समृद्धि से ब्रिटेन की समृद्धि तक अंग्रेजों के आगमन से पहले, भारत विश्व का सबसे धनी और शक्तिशाली देशों में से एक था। यहां का कपड़ा, मसाले और आभूषण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थे। 1750 में, वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत का हिस्सा 25% था। लेकिन अंग्रेजों ने नीतिगत और आर्थिक तरीकों से भारत को इतना कमजोर कर दिया ...

"फिटनेस का फंडा: कैसे बनाएं सेहत और ऊर्जा का परफेक्ट बैलेंस?"

 "फिटनेस का फंडा: आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में फिट रहना हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग इसे एक कठिन काम मानते हैं। फिटनेस का मतलब सिर्फ़ जिम में घंटों पसीना बहाना नहीं है; यह हमारे रोज़मर्रा के छोटे-छोटे फैसलों और आदतों का नतीजा है। फिटनेस का सफर तभी आसान बनता है, जब इसे एक बोझ नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बना लिया जाए। चलिए, जानें फिट रहने के कुछ आसान और मजेदार तरीके, जिन्हें आप तुरंत अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं: --- 1. सुबह की ताज़गी: दिन की बेहतरीन शुरुआत दिन की शुरुआत एक हल्की स्ट्रेचिंग या 10-15 मिनट की वॉक से करें। अगर बाहर जाना मुमकिन नहीं है, तो घर पर ही योगा करें। यह न सिर्फ आपके शरीर को, बल्कि दिमाग को भी तरोताजा कर देता है। > टिप : वॉक के दौरान अपने पसंदीदा पॉडकास्ट सुनें, यह आपको प्रेरित रखेगा। --- 2. "पानी" - आपकी सेहत का सबसे सस्ता साथी क्या आपको पता है कि दिन में सही मात्रा में पानी पीना आपके शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है? सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुना पानी पिएं। दिनभर पानी पीने की आदत...

असली खुशी और सफलता है क्या

खुशी और सफलता —ये दो शब्द हमारी जिंदगी में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हर व्यक्ति इनकी तलाश में जीवन के सफर पर निकलता है। परंतु क्या वाकई हम जानते हैं कि असली खुशी और सफलता क्या है? अक्सर हम इन्हें बाहरी उपलब्धियों, भौतिक संपत्तियों, और सामाजिक मान्यता में खोजते हैं, परंतु आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इनकी परिभाषा बिल्कुल भिन्न होती है। असली खुशी: आत्मा की शांति आध्यात्मिकता के अनुसार, खुशी किसी बाहरी वस्तु या घटना पर निर्भर नहीं करती। यह हमारे अंदर है, हमारी आत्मा में। जब हम अपने भीतर की ओर देखते हैं और स्वयं को जानने का प्रयास करते हैं, तो हमें सच्ची खुशी का अनुभव होता है। खुशी का यह अनुभव: 1. स्वीकृति में छिपा है: जब हम स्वयं को और अपने जीवन को जैसा है, वैसा स्वीकार करना सीखते हैं, तो हम दुख और असंतोष से मुक्त हो जाते हैं। 2. वर्तमान में जीने में है : जब हम अतीत के पछतावे और भविष्य की चिंताओं से मुक्त होकर वर्तमान में जीते हैं, तो हमें खुशी महसूस होती है। 3. सकारात्मक दृष्टिकोण में है : अपने विचारों और दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने से मन की शांति और प्रसन्नता बढ़ती है। असली सफलता: ...