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25 लाख़ विद्यार्थियों को सरकार का तोहफ़ा, बढ़ी मिलेगी छात्रवृत्ति

▪️ कक्षा 9 व 10 के छात्रों को रुपए 3,000 के स्थान पर रुपए 3,500 का होगा भुगतान ▪️ सफ़ाई का कार्य करने वाले परिवारों के बच्चों को पहली बार पढ़ाई हेतु मिलेगी आर्थिक सहायता ▪️ सभी आय वर्ग के परिवारों के बच्चों को मिलेगा लाभ ▪️विद्यार्थियों को आवेदन पत्र में अब व्यक्तिगत विवरण नहीं भरना होगा ▪️ आधार के द्वारा विद्यार्थी के नाम, पिता का नाम आदि व्यक्तिगत विवरण स्वतः आवेदन में भरा जाएगा ▪️छात्रवृत्ति का पोर्टल डिज़िलॉकर व एनपीसीआई से जोड़ा गया ▪️अब आवेदन पत्र भरते समय ही छात्रों का आधार सीडेड बैंक खाता संख्या की मिलेगी जानकारी ▪️ सीबीएसई व आईसीएससी बोर्ड का ऑनलाइन मिलान से संदेहास्पद डाटा में कमी ▪️पहली बार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र 31 मार्च तक कर सकेंगे आवेदन ▪️बीएससी या बीए पाठ्यक्रमों में छात्रवृत्ति पाने के बाद बी.टेक में छात्रवृत्ति की सुविधा उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 25 लाख़ छात्र छात्राओं को बड़ी सौगात दी है। इस वर्ष से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा प्...

चंदेल क्षत्रिय जिन्होंने स्थापत्यकला को अद्भुत बनाया

चंदेल राजपूत एक प्रमुख राजपूत कुल है जो भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित था। चंदेल राजपूत वंश का इतिहास उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थानीय राज्यों के रूप में जाना जाता है। चंदेल राजपूत वंश का उल्लेख पहली बार 8वीं सदी ईसा पूर्व में भारतीय इतिहास में हुआ है। चंदेल राजपूतों का मुख्य केंद्र कालिंदी महादेश (वर्तमान मध्य प्रदेश) में स्थित था। चंदेलों का सबसे प्रसिद्ध नामसंदान उनकी सुंदर और भव्य मंदिरों के लिए था, जिनमें से कुछ आज भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं। चंदेल राजपूतों का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली शासक महाराजा यशोवर्मन (950-975 ईसा पूर्व) था, जिन्होंने खजुराहो में अपनी सत्ता स्थापित की थी और शिखरग्राम (वर्तमान खजुराहो) के मंदिरों का निर्माण करवाया था। ये मंदिर विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल हैं और विश्वविख्यात पर्यटन स्थलों में से एक माने जाते हैं। चंदेल राजपूत वंश की अवशेष बुंदेलखंड क्षेत्र में भी पाई जा सकती है, जहां वे बाद में अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश की ओर आगे बढ़े। इसके अलावा, चंदेल राजपूतों ने काशीपुर और जगदलपुर में भी अपनी सत्...

एसबीआई क्रेडिट कार्ड से क्या मिलेगा

एसबीआई क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड दोनों का अपना अलग-अलग लाभ है। निम्नलिखित रूप में इन कार्डों के लाभ के बारे में जानकारी दी गई है: एसबीआई क्रेडिट कार्ड के लाभ: 1. खरीदारी पर छूट और ऑफर्स: क्रेडिट कार्ड कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली छूट और ऑफर्स का उपयोग करके आप अलग-अलग खरीदारी पर बचत कर सकते हैं। यह शामिल हो सकता है रिवार्ड प्रोग्राम, कैशबैक, डिस्काउंट, अतिरिक्त बोनस पॉइंट्स आदि। 2. वित्तीय संबंधों की सुविधा: क्रेडिट कार्ड आपको वित्तीय संबंधों की सुविधा प्रदान करता है। आप खरीदारी करने, वित्तीय संकेत संदेश प्राप्त करने, ईमेल स्टेटमेंट प्राप्त करने, बिल भुगतान करने आदि के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। 3. बढ़ते हुए क्रेडिट स्कोर: सही तरीके से क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने से आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ सकता है। यदि आप नियमित रूप से क्रेडिट कार्ड की रकम का भुगतान करते हैं।

ये है लखनऊ नगर

लखनऊ  महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और प्रशासनिक केंद्र है।  1. ऐतिहासिक महत्व: लखनऊ का ऐतिहासिक महत्व बहुत ऊँचा है। यह शहर नवाबों की राजधानी रहा है और नवाबों का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शासनिक केंद्र था। इसके अलावा, लखनऊ गद्दी शाहजहाँबाद नगर संघ का मुख्यालय भी था। 2. वास्तुकला: लखनऊ शहर में नवाबी आवासों की वास्तुकला एक आदर्श है। लखनऊ के इमारतें अपनी अद्वितीय नक्काशी, शानदार भव्यता, और मुग़ल और अवधी संस्कृति के संगम से प्रसिद्ध हैं। चौखण्डी इमारत, बारा इमामबाड़ा, रुमी दरवाज़ा, चोटी बारी, इत्माद-उद-दौला धर्मशाला आदि इमारतें वास्तुकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। 3. भोजन संस्कृति: लखनऊ को अपनी दिलचस्प और परंपरा है।

दो हजार के गुलाबी नोट को लेकर खलबली

 दो हजार के गुलाबी नोट के सामने आया संकट 2000 रुपये का नोट हैं तो तुरंत बैंक में जमा कराएं, आरबीआई ने इस नोट को लेकर हलचल मचाने वाली बात कही अगर आपके पास दो हजार रुपये का गुलाबी नोट है तो यह खबर आपके लिए हैं। नोटबंदी के बाद से सबसे बड़ा नाेट दो हजार का प्रचलन में आया था। नोटबंदी से पहले एक हजार रुपये का नोट चलन में था। सरकार ने एक हजार के नोट को खत्म कर दो हजार का नोट चलाया था। कुछ समय से माना जा रहा था कि यह दो हजार रुपये का गुलाबी नोट चलन से बाहर हो सकता है। कुछ बैंकों ने अपने एटीएम में दो हजार रुपये के नोट भी डालना कम कर दिया था, तो कुछ बैंकों ने दो हजार रुपये के नोट को डालना पूरी तरह से बंद कर दिया था। अब 19 मई 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने फैसले में दो हजार रुपये के इस गुलाबी नोट को पूरी तरह से चलन से वापस लेने का फैसला किया है, हालांकि दो हजार रुपये का यह नोट अभी वैध मुद्रा माना जाएगा। यानी आम चलन में यह नोट रहेगा। आरबीआई ने यहां यह भी कहा है कि जनता अपने बैंक खाते में दो हजार रुपये के नोट जमा कर सकते हैं। या किसी भी बैंक से दो हजार रुपये के नोट को ब...

लखनऊ में कैसे बड़ा हो गया मंगल आइए जानते हैं....

पूरे देश में लखनऊ में ज्येष्ठ माह का मंगल बड़ा होता है। पूरे महीने में चार या पांच मंगलवार पड़ता है। इन सभी मंगलवार को पूरे शहर में जगह- जगह मंदिर, चौराहों और सरकारी, निजी प्रतिष्ठानों में बजरंग बली की चालीसा, भजन के बीच दिव्य भंडारे का आयोजन होता है। सुबह से लेकर देर शाम हर भंडारे में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। मंगलवार को बड़ा बनाने का यह दृश्य पूरे भारत में नहीं देखने को मिलेगी। अवध की यह परंपरा गजब है। आइए जानते हैं यह मंगल कैसे बड़ा हो गया? इसकी 400 साल पहले की कहानी है। लखनऊ के अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली मुगल खानदान की आलिया बेगम ने करवाई थी। यह मंदिर 1792 से 1802 के बीच बनकर तैयार हुआ था। ऐसी मान्यता है कि बेगम के सपने में हनुमान जी आए थे, और बताया कि था कि यहां टीले में प्रतिमा है। बड़ी बेगम के कहने पर जब टीले की खुदाई हुई तो हनुमान जी की प्रतिमा मिली। उनकी प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया गया। हनुमान जी की प्रतिमा को गोमतीनदी के पार स्थापित करने की योजना थी, लेकिन हाथी अलीगंज के पुरान...

ये सिकंदर बाग जहां दफन है ऐसी कहानी.....

 लखनऊ नवाबों का शहर, यहां देखने के लिए बहुत कुछ है, प्राचीन भारत हो या मध्य भारत या फिर आधुनिक भारत हर समय को बताने के लिए यहां ऐसे -ऐसे भवन और स्थल हैं। जहां जाकर आप उस काल की कहानी को करीब से जान पाएंगे। एक ऐसी ही जगह है यहां पर सिकंदर बाग, मुख्य मार्ग पर स्थित इस बाग की दीवारें ब्रिटिश काल के दरिंदगी की दास्ता भी बताते हैं। 1857 की क्रांति जब हुई थी, तो उस समय करीब दो हजार से अधिक लोगों की यहां निर्मम हत्या कर दी गई थी, शव बाग में खुले ही छोड़ दिया गया था। सिकंदर बाग देखने में इस समय तो खूबसूरत लगता है, लेकिन कहा जाता है कि यहां शाम के समय डर लगता है। रात में कई तरह की आवाजें भी सुनने को मिलती है। इस बाग की एक और कहानी इसे और भी खास बनाती है और वह है विरांगना ऊदा। जब 10 मई 1857 की क्रांति हुई थी, उस समय ऊदा देवी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह बेगम हजरत महल की सुरक्षा में तैनात थीं। उनके पति मक्का पासी नवाब की सेना में थे। इतिहासकार बताते हैं कि ऊदा देवी अपने पति से सैनिक से पूरी तरह से प्रशिक्षण लिया था।वह सैन्य सुरक्षा में भी तैनात थीं। क्रांति क...

नई शुरुआत, नया संकल्प

हर सुबह, हर सप्ताह, हर माह, हर साल खुद में नई ऊर्जा, नए अवसर, नए उम्मीदों और अपेक्षाओं को लेकर आता है। इसमें हम पुरानी तनावपूर्ण बातों को भूल कर एक नई सकारात्मक शुरुआत करना चाहते हैं।  नए साल पर ऐसे ही कुछ संकल्पों को दोहराते भी हैं, और यह कहते हैं कि अब हम कुछ नया करेंगे। पुरानी बुरी आदतों को भूल जाएंगे। जीवन में नई सोच और सकारात्मक ऊर्जा के लिए हमें बस कुछ चीजों पर ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसे हम अपने जीवन में उतार कर आगे बढ़ सकते हैं।  ये 10 संकल्प लेकर करिए शुरुआत, सफलता कदमताल  करेगी: -जीवन में कोई...