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मई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दो हजार के गुलाबी नोट को लेकर खलबली

 दो हजार के गुलाबी नोट के सामने आया संकट 2000 रुपये का नोट हैं तो तुरंत बैंक में जमा कराएं, आरबीआई ने इस नोट को लेकर हलचल मचाने वाली बात कही अगर आपके पास दो हजार रुपये का गुलाबी नोट है तो यह खबर आपके लिए हैं। नोटबंदी के बाद से सबसे बड़ा नाेट दो हजार का प्रचलन में आया था। नोटबंदी से पहले एक हजार रुपये का नोट चलन में था। सरकार ने एक हजार के नोट को खत्म कर दो हजार का नोट चलाया था। कुछ समय से माना जा रहा था कि यह दो हजार रुपये का गुलाबी नोट चलन से बाहर हो सकता है। कुछ बैंकों ने अपने एटीएम में दो हजार रुपये के नोट भी डालना कम कर दिया था, तो कुछ बैंकों ने दो हजार रुपये के नोट को डालना पूरी तरह से बंद कर दिया था। अब 19 मई 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने फैसले में दो हजार रुपये के इस गुलाबी नोट को पूरी तरह से चलन से वापस लेने का फैसला किया है, हालांकि दो हजार रुपये का यह नोट अभी वैध मुद्रा माना जाएगा। यानी आम चलन में यह नोट रहेगा। आरबीआई ने यहां यह भी कहा है कि जनता अपने बैंक खाते में दो हजार रुपये के नोट जमा कर सकते हैं। या किसी भी बैंक से दो हजार रुपये के नोट को ब...

लखनऊ में कैसे बड़ा हो गया मंगल आइए जानते हैं....

पूरे देश में लखनऊ में ज्येष्ठ माह का मंगल बड़ा होता है। पूरे महीने में चार या पांच मंगलवार पड़ता है। इन सभी मंगलवार को पूरे शहर में जगह- जगह मंदिर, चौराहों और सरकारी, निजी प्रतिष्ठानों में बजरंग बली की चालीसा, भजन के बीच दिव्य भंडारे का आयोजन होता है। सुबह से लेकर देर शाम हर भंडारे में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। मंगलवार को बड़ा बनाने का यह दृश्य पूरे भारत में नहीं देखने को मिलेगी। अवध की यह परंपरा गजब है। आइए जानते हैं यह मंगल कैसे बड़ा हो गया? इसकी 400 साल पहले की कहानी है। लखनऊ के अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली मुगल खानदान की आलिया बेगम ने करवाई थी। यह मंदिर 1792 से 1802 के बीच बनकर तैयार हुआ था। ऐसी मान्यता है कि बेगम के सपने में हनुमान जी आए थे, और बताया कि था कि यहां टीले में प्रतिमा है। बड़ी बेगम के कहने पर जब टीले की खुदाई हुई तो हनुमान जी की प्रतिमा मिली। उनकी प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया गया। हनुमान जी की प्रतिमा को गोमतीनदी के पार स्थापित करने की योजना थी, लेकिन हाथी अलीगंज के पुरान...

ये सिकंदर बाग जहां दफन है ऐसी कहानी.....

 लखनऊ नवाबों का शहर, यहां देखने के लिए बहुत कुछ है, प्राचीन भारत हो या मध्य भारत या फिर आधुनिक भारत हर समय को बताने के लिए यहां ऐसे -ऐसे भवन और स्थल हैं। जहां जाकर आप उस काल की कहानी को करीब से जान पाएंगे। एक ऐसी ही जगह है यहां पर सिकंदर बाग, मुख्य मार्ग पर स्थित इस बाग की दीवारें ब्रिटिश काल के दरिंदगी की दास्ता भी बताते हैं। 1857 की क्रांति जब हुई थी, तो उस समय करीब दो हजार से अधिक लोगों की यहां निर्मम हत्या कर दी गई थी, शव बाग में खुले ही छोड़ दिया गया था। सिकंदर बाग देखने में इस समय तो खूबसूरत लगता है, लेकिन कहा जाता है कि यहां शाम के समय डर लगता है। रात में कई तरह की आवाजें भी सुनने को मिलती है। इस बाग की एक और कहानी इसे और भी खास बनाती है और वह है विरांगना ऊदा। जब 10 मई 1857 की क्रांति हुई थी, उस समय ऊदा देवी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह बेगम हजरत महल की सुरक्षा में तैनात थीं। उनके पति मक्का पासी नवाब की सेना में थे। इतिहासकार बताते हैं कि ऊदा देवी अपने पति से सैनिक से पूरी तरह से प्रशिक्षण लिया था।वह सैन्य सुरक्षा में भी तैनात थीं। क्रांति क...