हर कोई सफलता चाहता है। सफलता की परिभाषा हर किसी के लिए अलग हो सकती है। कोई सफलता के लिए सफल व्यक्तियों के जीवन को पढ़ता है। कोई सफल व्यक्तियों के जीवन से प्रेरित होता है। तो कुछ सेमिनार और प्रेरक प्रसंगों को सुनकर सफल होना चाहता है। जबकि अर्थशास्त्र के लेखक आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। उन्होंने सफलता के लिए कुछ बातें बताईं हैं। आज हम सफलता के उन्हीं मंत्रों को अलग- अलग करके समझेंगे।
ये हैं कुछ सफल होने के मूल मंत्र
विशेषज्ञ से सलाह लेना:
नए साल या कभी भी अगर आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, और उसमें चाहते हैं कि सफलता हासिल हो। जोखिम कम से कम रहे। तो चाणक्य के अनुसार उस क्षेत्र में जो लोग सफल हो गए हैं। उनसे जरूर मिलना चाहिए। उनसे सलाह लेनी चाहिए। अगर सलाह देने वाला अच्छा हुआ तो आप उतने जल्दी कम जोखिम के साथ भी सफल हो सकते हैं।
अपनी ताकत बढ़ाएं या फिर ताकतवर से जुड़ जाएं
सफलता के लिए चाणक्य एक और बात बताते हैं। सफलता के लिए ताकतवर होना भी जरूरी है। यह ताकत आर्थिक, शारीरिक, आध्यात्मिक किसी तरह की हो सकती है। या सभी तरह की हो सकती है। इसमें आर्थिक ताकत के लिए अर्न के सार्थ लर्न और अच्छे जगह निवेश की जरूरत होती है। शारीरिक ताकत के लिए अच्छा खान-पान और अभ्यास चाहिए। आध्यात्मिक ताकत के लिए सकारात्मक सोच के साथ खुद के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। इसके लिए चाणक्य एक और बात बताते हैं कि अगर आप इन क्षेत्रों में किसी ताकतवर व्यक्ति का साथ भी कर लेते हैं तो भी उनके मार्गदर्शन से अपनी ताकत बढ़ा सकते हैं।
काम तो करना पड़ेगा
श्रीमद्भागवत गीता में भी कर्म की प्रधानता बताई गई है। केवल सोचने या योजना बनाने से हम सफल नहीं हो सकते हैं। कर्म के लिए कदम तो बढ़ाना ही पड़ेगा। इसमें अपने अंदर एक प्रबल इच्छा शक्ति को पैदा करने की जरूरत है। जिस क्षेत्र में आप सफल होना चाहते हैं उसके विषय में अच्छी और सही जानकारी हासिल करें। फिर उसे क्रियान्वित करें। एक बार आदत में सुधार हो गया तो सफलता मिलने में देर नहीं लगेगी।
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