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एम्बर: लाखों साल पुरानी ज़िंदगी की सुनहरी खिड़की


कल्पना कीजिए, एक पारदर्शी पत्थर जिसमें बंद हो एक फूल की पंखुड़ी, एक मच्छर की टांग या किसी अज्ञात कीड़े की पूरी काया। यह पत्थर कोई साधारण चीज़ नहीं, बल्कि लाखों साल पहले बहा हुआ पेड़ का रेज़िन (resin) है, जिसे आज हम एम्बर कहते हैं। यह सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि समय का एक कैप्सूल है, जिसमें बंद हैं धरती के इतिहास के बेशकीमती राज।

एम्बर क्या है?

एम्बर असल में पेड़ का वह रेज़िन (गोंद) है, जो उसने खुद को बचाने के लिए निकाला—कभी किसी जख्म पर मरहम लगाने के लिए, कभी कीड़े-मकोड़ों से लड़ने के लिए या कभी मौसम की मार से खुद को बचाने के लिए। यह रेज़िन ज़मीन पर गिरता है, वहां गाद और मिट्टी में दब जाता है, और लाखों सालों बाद वह कठोर होकर एम्बर में बदल जाता है।

भारत में एम्बर की कहानी

भारत में एम्बर का अध्याय शुरू हुआ गुजरात के खंभात (Cambay) की वसतान लिग्नाइट माइंस से, जब 20 साल पहले युवा वैज्ञानिक हुकुम सिंह ने एक चमकदार पत्थर पाया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के मशहूर पैलियॉन्टोलॉजिस्ट डॉ. अशोक साहनी को दिखाया, जिन्होंने तुरंत पहचान लिया कि ये एम्बर है। यहीं से भारत में एम्बर विज्ञान की नींव पड़ी।

आज लखनऊ के बीएसआईपी (Birbal Sahni Institute of Palaeosciences) में हुकुम सिंह की अगुवाई में एम्बर एनालिसिस और पैलियोएंटोमोलॉजी लैब दुनिया के बेहतरीन शोध केंद्रों में से एक बन चुकी है।

भारत के एम्बर खजाने

भारत में दो प्रमुख जगहों पर एम्बर के विशाल भंडार मिले हैं:

  1. गुजरात – खंभात (Cambay): सबसे पुराना और जीवों से भरपूर एम्बर यहीं मिला।
  2. कच्छ (Kutch): थोड़ा नया, लेकिन इसमें जैव विविधता ज़्यादा है।

इसके अलावा राजस्थान (बाड़मेर, नागौर), तमिलनाडु (नेवेली) और मिजोरम में भी एम्बर की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

एम्बर में छुपी अनमोल दुनिया

एम्बर में अब तक क्या-क्या मिला है?

क्या भारत कभी था ट्रॉपिकल जंगलों की धरती?

आज की शुष्क और बंजर ज़मीन (जैसे कच्छ) दरअसल 47 मिलियन साल पहले हरे-भरे रेनफॉरेस्ट थे, कुछ-कुछ बोर्नियो जैसे। एम्बर में मिले पराग और बीज बताते हैं कि वहां साल, बाओबाब, ऑर्किड, सिल्क कॉटन जैसे पेड़ मौजूद थे।

वैज्ञानिकों के लिए क्यों है एम्बर बेशकीमती?

दुनिया में एम्बर पर हो रहा है कितना काम?

भारत की खासियत क्या है?

भविष्य की संभावनाएं

लखनऊ की लैब अब माइक्रो-CT स्कैनर से लैस है, जिससे एम्बर के अंदर का जीवन 3D में देखा जा सकेगा।
हजारों नमूने अभी जांच के लिए रखे हैं  हर नमूना एक नई कहानी कह सकता है


अंत में एक कल्पना कीजिए...

एक गोंद की बूँद, जो पेड़ से टपक कर मिट्टी में जा गिरी थी।
उसने एक मच्छर को कैद कर लिया।
लाखों साल बाद, वही मच्छर अब किसी वैज्ञानिक की लैब में है कांच के टुकड़े में कैद, इतिहास का गवाह, विज्ञान का सूत्र।

क्या पता, उस मच्छर की बदौलत हमें अपने अस्तित्व की एक नई परत का सुराग मिल जाए।

एम्बर है जादू... विज्ञान और प्रकृति का मिलन।



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