भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता:
एक नया आर्थिक युग
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में इस समझौते पर सहमति बनी, और 24 जुलाई 2025 को इसे औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित किया गया। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखता है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं के दौर में एक रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूत करता है। इस संपादकीय में हम इस समझौते से भारत को होने वाले लाभ, दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात होने वाले सामानों, और इसके दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।भारत को होने वाले लाभभारत-यूके एफटीए भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह समझौता भारत को लाभ प्रदान करता है:
निर्यात में वृद्धि:
समझौते के तहत, भारत के 99% निर्यात उत्पादों को यूके में शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलेगा, जो भारत के लगभग सभी व्यापार मूल्य को कवर करता है। इससे भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कि टेक्सटाइल, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, समुद्री उत्पाद, खिलौने, इंजीनियरिंग सामान, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और जैविक रसायनों को नए अवसर प्राप्त होंगे। उदाहरण के लिए, भारतीय टेक्सटाइल और जूते, जो वर्तमान में यूके में 2-18% शुल्क का सामना करते हैं, अब शुल्क-मुक्त होंगे, जिससे बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ समान अवसर मिलेगा।
रोजगार सृजन: श्रम-प्रधान क्षेत्रों में निर्यात बढ़ने से भारत में लाखों नौकरियों का सृजन होगा। विशेष रूप से टेक्सटाइल, चमड़ा, और जूते जैसे उद्योग, जो बड़े पैमाने पर श्रमिकों को रोजगार देते हैं, इस समझौते से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे। भारतीय रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने अनुमान लगाया है कि अगले दो वर्षों में इस क्षेत्र में 2.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि होगी, जिससे द्विपक्षीय व्यापार 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
पेशेवरों के लिए अवसर: यह समझौता भारतीय पेशेवरों, जैसे कि योग प्रशिक्षक, शेफ, संगीतकार, और अन्य अनुबंध-आधारित सेवा प्रदाताओं को यूके में अस्थायी प्रवेश की सुविधा देता है। इसके अलावा, डबल कॉन्ट्रिब्यूशन कन्वेंशन (डीसीसी) के तहत, तीन साल तक यूके में तैनात भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट मिलेगी, जिससे लगभग 4000 करोड़ रुपये की बचत होगी।डिजिटल और सेवा क्षेत्र में लाभ: समझौता डिजिटल सेवा वितरण में भारत की ताकत को मान्यता देता है, विशेष रूप से आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग, कंप्यूटिंग, और दूरसंचार सेवाओं में। यह भारतीय सेवा क्षेत्र को यूके में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
निवेश और नवाचार:
यह समझौता भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा, विशेष रूप से "मेक इन इंडिया" पहल को बढ़ावा देने में। यूके के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर भी बातचीत चल रही है, जो भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को और मजबूत करेगी।वैश्विक व्यापार में रणनीतिक स्थिति: वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताओं, विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ नीतियों के कारण, भारत-यूके एफटीए भारत को गैर-अमेरिकी साझेदारों के साथ व्यापार बढ़ाने का अवसर देता है। यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है।
भारत से यूके को निर्यात होने वाला सामान
2024 में भारत ने यूके को 14.5 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख सामान शामिल थे।
टेक्सटाइल और परिधान: बुने और गैर-बुने कपड़े, जो भारत के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा हैं।
रत्न और आभूषण: भारत की यह पारंपरिक ताकत यूके के लक्जरी बाजार में लोकप्रिय है।
इंजीनियरिंग सामान: ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इंजन, और मशीनरी।समुद्री उत्पाद: जैसे जमे हुए झींगे, जो यूके के खाद्य बाजार में मांग में हैं।
चमड़ा और जूते: ये श्रम-प्रधान क्षेत्र भारत के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
खेल सामान और खिलौने: ये उभरते हुए क्षेत्र हैं जो यूके में बढ़ती मांग को पूरा करते हैं।
जैविक रसायन और फार्मास्यूटिकल्स: भारत की दवा उद्योग की ताकत यूके में निर्यात को बढ़ावा देती है।
यूके से भारत को आयात होने वाला सामान
2024 में यूके से भारत को 8.6 बिलियन डॉलर का आयात हुआ। प्रमुख आयातित सामान में शामिल हैं।
व्हिस्की और जिन: स्कॉच व्हिस्की भारत के सबसे बड़े व्हिस्की बाजार में लोकप्रिय है। समझौते के तहत, 150% आयात शुल्क को तुरंत 75% तक कम किया जाएगा और दस साल में 40% तक।
ऑटोमोबाइल: लक्जरी कारें जैसे एस्टन मार्टिन और जगुआर लैंड रोवर (टाटा मोटर्स के स्वामित्व में)। आयात शुल्क 100% से अधिक से घटकर 10% तक होगा, हालांकि कोटा प्रणाली के तहत।
खाद्य और पेय: लैंब, सैल्मन, चॉकलेट, बिस्कुट, और सॉफ्ट ड्रिंक्स, जिन पर शुल्क कम होगा।
चिकित्सा उपकरण और एयरोस्पेस पार्ट्स: ये उच्च-मूल्य वाले उत्पाद भारत के स्वास्थ्य और विमानन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं।
कॉस्मेटिक्स: ये उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सस्ते होंगे।
दीर्घकालिक प्रभावयह समझौता भारत और यूके के बीच व्यापार को 2030 तक 60 बिलियन डॉलर से दोगुना कर 120 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखता है। यूके की अर्थव्यवस्था को 2040 तक प्रतिवर्ष 4.8 बिलियन पाउंड (56,150 करोड़ रुपये) का लाभ होने का अनुमान है, जबकि भारत में रोजगार सृजन, निवेश, और नवाचार में वृद्धि होगी। यह समझौता भारत को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है, विशेष रूप से तब जब भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं। यूके की कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) से भारतीय धातु निर्यात प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि भारत ने इससे छूट की मांग की थी, जो समझौते में शामिल नहीं है। इसके अलावा, भारतीय शराब उद्योग ने चिंता जताई है कि यूके की शराब पर कम शुल्क से स्थानीय उद्योग को नुकसान हो सकता है।निष्कर्षभारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक जीत की स्थिति है। भारत के लिए, यह न केवल निर्यात और रोजगार के अवसरों को बढ़ाता है, बल्कि वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति को भी मजबूत करता है। यूके के लिए, यह भारत के विशाल और तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार तक पहुंच प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कीर स्टार्मर की दूरदर्शी नेतृत्व ने इस समझौते को संभव बनाया, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को नए आयाम देगा। यह समझौता न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और नवाचार-संचालित सहयोग को भी गहरा करेगा।
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