सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नेपाल में हिंदू राष्ट्र की हुंकार, क्या लौटेगा राजशाही का सुनहरा दौर?

नेपाल में हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग़ 

नेपाल में  हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। यह मांग न केवल धार्मिक पहचान से जुड़ी है, बल्कि देश के ऐतिहासिक राजशाही तंत्र की वापसी की चाहत को भी दर्शाती है। नेपाल, जो कभी दुनिया का एकमात्र आधिकारिक हिंदू राष्ट्र था, 2008 में राजशाही के अंत के बाद धर्मनिरपेक्ष देश बन गया। लेकिन अब जनता का एक बड़ा वर्ग और कुछ राजनीतिक दल इसे फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की वकालत कर रहे हैं। आइए, इस मांग के पीछे के कारणों, इतिहास और वर्तमान स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

नेपाल का ऐतिहासिक परिदृश्य:
 राजशाही और हिंदू राष्ट्र नेपाल का इतिहास लंबे समय तक राजशाही से जुड़ा रहा है। 18वीं शताब्दी में पृथ्वी नारायण शाह ने गोरखा साम्राज्य की स्थापना की और विभिन्न छोटे-छोटे रियासतों को एकजुट कर आधुनिक नेपाल का निर्माण किया। इस दौरान नेपाल की पहचान एक हिंदू राष्ट्र के रूप में मजबूत हुई, क्योंकि शाह वंश ने हिंदू धर्म को राजकीय संरक्षण दिया। 19वीं और 20वीं शताब्दी में राणा शासकों ने सत्ता पर कब्जा किया, लेकिन राजा की प्रतीकात्मक भूमिका बनी रही। इस दौर में भी नेपाल हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता था, जहां राजा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था।1962 के संविधान ने नेपाल को औपचारिक रूप से हिंदू राष्ट्र घोषित किया, और यह स्थिति 2008 तक कायम रही। उस समय नेपाल की 80% से अधिक आबादी हिंदू थी, और हिंदू धर्म देश की संस्कृति, परंपराओं और शासन व्यवस्था का आधार था। हालांकि, राजशाही हमेशा स्थिर नहीं रही। 1950 के दशक में लोकतांत्रिक आंदोलनों ने जोर पकड़ा, और 1990 में राजा बीरेंद्र ने संवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार किया। लेकिन असली बदलाव 2001 में आया, जब शाही परिवार की हत्या के बाद ज्ञानेंद्र शाह राजा बने। उनके शासन में असंतोष बढ़ा, जिसने माओवादी आंदोलन को बल दिया।

राजशाही का अंत और धर्मनिरपेक्षता की शुरुआत:

1996 से 2006 तक चले माओवादी गृहयुद्ध ने नेपाल के राजनीतिक ढांचे को हिला दिया। इस दौरान माओवादियों और अन्य लोकतांत्रिक समूहों ने राजशाही के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाया। 2006 में जन आंदोलन (लोकतंत्र आंदोलन) के बाद राजा ज्ञानेंद्र को सत्ता छोड़नी पड़ी। 28 मई 2008 को नवनिर्वाचित संविधान सभा ने 240 साल पुरानी राजशाही को खत्म कर नेपाल को संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। इसके साथ ही 2007 और 2015 के संविधानों में नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाया गया। यह बदलाव विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों की समावेशिता की मांग से प्रेरित था, क्योंकि कई अल्पसंख्यक समुदायों का मानना था कि हिंदू राष्ट्र की व्यवस्था में उनकी पहचान दबाई जा रही थी।हालांकि, इस परिवर्तन ने सभी को संतुष्ट नहीं किया। नेपाल की 81% से अधिक आबादी आज भी हिंदू है, और कई लोगों का मानना है कि धर्मनिरपेक्षता ने उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को कमजोर किया है।हिंदू राष्ट्र की मांग का पुनर्जनम2008 के बाद से समय-समय पर नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठती रही है। यह मांग हाल के वर्षों में और तेज हुई है, खासकर 2020 के बाद। 
कई कारणों ने इसे हवा दी है:

राजनीतिक अस्थिरता: राजशाही खत्म होने के बाद नेपाल में 13 से अधिक सरकारें बदल चुकी हैं। अस्थिरता और भ्रष्टाचार के आरोपों ने जनता में असंतोष पैदा किया है, जिससे कुछ लोग राजशाही और हिंदू राष्ट्र को स्थिरता का प्रतीक मानते हैं।

हिंदू संगठनों का प्रभाव:

 विश्व हिंदू महासंघ, हिंदू जागरण समिति और नेपाल हिंदू राष्ट्र पुनः स्थापना मंच जैसे संगठन इस मांग को आगे बढ़ा रहे हैं। इनका तर्क है कि 80% से अधिक हिंदू आबादी वाले देश को धर्मनिरपेक्ष कहना तर्कसंगत नहीं है।राजशाही समर्थकों का उभार: पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक भी सक्रिय हैं। उनका मानना है कि राजशाही के साथ हिंदू राष्ट्र की वापसी देश को एकजुट कर सकती है। 2023 और 2024 में काठमांडू की सड़कों पर बड़े प्रदर्शन देखे गए, जहां लोगों ने "हमारा राजा, हमारा देश" जैसे नारे लगाए।राजनीतिक दलों की भूमिका: राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (पीपीपी) इस मांग की सबसे बड़ी समर्थक है। इसने अपने चुनावी घोषणापत्र में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने और राजशाही की बहाली का वादा किया है। नेपाली कांग्रेस, जो पहले धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर थी, अब अपने कुछ नेताओं के जरिए इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार दिख रही है। सांसद शशांक कोइराला ने जनमत संग्रह की मांग की है।
भारत का प्रभाव: 
भारत में बीजेपी की सत्ता और हिंदुत्व की राजनीति ने भी नेपाल के हिंदू राष्ट्र समर्थकों को प्रेरित किया है। योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं ने नेपाल में इस मांग को समर्थन दिया है।वर्तमान स्थिति और प्रदर्शन2023 और 2024 में नेपाल में हिंदू राष्ट्र और राजशाही की बहाली के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। नवंबर 2023 में काठमांडू में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, जिसे पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज से नियंत्रित किया। अप्रैल 2024 में RPP के नेतृत्व में एक और बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचने की कोशिश की। उनकी मांग थी कि संविधान में बदलाव कर नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाया जाए।नेपाली कांग्रेस की फरवरी 2024 की महासमिति बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। पार्टी के 22 सदस्यों ने "वैदिक सनातन हिंदू राष्ट्र" की बहाली का प्रस्ताव रखा। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टियां और कुछ नेता जैसे अनासारी घरती इसके खिलाफ हैं, उनका कहना है कि यह धार्मिक समानता को खतरे में डालेगा।

तर्क और चुनौतियां समर्थकों का तर्क
हिंदू राष्ट्र समर्थक कहते हैं कि जब ईसाई और इस्लामिक देश अपनी धार्मिक पहचान रख सकते हैं, तो नेपाल क्यों नहीं? उनका मानना है कि यह सांस्कृतिक गौरव और एकता का प्रतीक होगा।

विरोधियों का तर्क: 

विरोधी मानते हैं कि यह कदम अल्पसंख्यकों (बौद्ध, मुस्लिम, ईसाई) के अधिकारों को कमजोर करेगा और देश में धार्मिक तनाव बढ़ाएगा। उनका कहना है कि यह राजशाही की "बैकडोर एंट्री" की कोशिश है।क्या होगा भविष्य?नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है, जिसके लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए। अभी तक किसी भी पार्टी के पास यह ताकत नहीं है। हालांकि, जनता का समर्थन और राजनीतिक दलों की बदलती रणनीति इस मांग को मजबूती दे रही है। कुछ जानकार मानते हैं कि अगर जनमत संग्रह हुआ, तो बहुसंख्यक हिंदू आबादी इसके पक्ष में वोट दे सकती है। लेकिन यह कदम नेपाल की विविधता और लोकतंत्र को कैसे प्रभावित करेगा, यह एक बड़ा सवाल है।नेपाल का यह मुद्दा न केवल उसकी आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ उसके संबंधों पर भी असर डाल सकता है। क्या 17 साल बाद नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र बनेगा? इसका जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐसा कौन सा फल है जो केवल रात में खाया जाता है?

क्या आपने कभी सुना है कि कोई फल ऐसा भी होता है जिसे दिन में नहीं, बल्कि रात में खाना ज्यादा फायदेमंद होता है? यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है। इस फल का नाम है कीवी (Kiwi)। रात में कीवी खाने का रहस्य कीवी एक ऐसा फल है जिसे रात में खाने के कई फायदे हैं। यह न केवल आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि आपकी नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है। --- रात में कीवी क्यों खाना चाहिए? 1. बेहतर नींद के लिए मददगार: कीवी में सेरोटोनिन नामक एक प्राकृतिक हार्मोन पाया जाता है, जो आपके मस्तिष्क को आराम देने में मदद करता है। यह आपकी नींद को गहरा और सुकूनभरा बनाता है। 2. पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है: रात के खाने के बाद अगर आप कीवी खाते हैं, तो यह आपकी पाचन प्रक्रिया को तेज करता है। इसमें मौजूद फाइबर आपकी आंतों को साफ रखने में मदद करता है। 3. वजन घटाने में सहायक: अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो रात में कीवी खाना एक बेहतरीन विकल्प है। यह कम कैलोरी वाला फल है और रात में इसे खाने से भूख भी नियंत्रित रहती है। 4. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है: कीवी में विटामिन C ...

जब प्यार बना साजिश, और रिश्ते बने कत्ल की वजह

मेरठ की दो दिल दहला देने वाली हत्याएं: उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर इन दिनों केवल शिक्षा या खेल के लिए नहीं, बल्कि दो खौफनाक हत्याओं के कारण चर्चा में है। दोनों मामलों में समानता है – प्रेम, साजिश और पति की हत्या। फर्क बस इतना है कि एक केस में लाश नीले ड्रम में सीमेंट के साथ बंद की गई , और दूसरे केस में ज़हरीले सांप को हत्या का हथियार बनाया गया। ये घटनाएं न सिर्फ दिल को झकझोरने वाली हैं, बल्कि इस ओर भी इशारा करती हैं कि समाज में रिश्तों की बुनियाद कितनी कमजोर होती जा रही है। आइए दोनों मामलों को विस्तार से समझते हैं। मामला 1: नीले ड्रम में पति की लाश – 'लव अफेयर' का खौफनाक अंजाम यह मामला कुछ ही दिन पहले मेरठ के टीपीनगर इलाके से सामने आया। पुलिस को एक बंद कमरे से नीला प्लास्टिक का ड्रम मिला। जब उसे खोला गया, तो उसके अंदर सीमेंट में पुती हुई लाश निकली। जांच में पता चला कि ये लाश अनिल नाम के युवक की थी, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट कुछ दिन पहले ही दर्ज कराई गई थी। जैसे-जैसे पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई, पत्नी का प्रेम-प्रसंग सामने आया। पत्नी का अपने पुराने प्रेमी ...

लखनऊ की गर्मियों में घूमने लायक 10 बेहतरीन जगहें ठंडी हवाओं और इतिहास का संगम

गर्मियों में जब लखनऊ की दोपहर तपती है, तब दिल चाहता है कुछ ऐसी जगहों की तलाश की जाए जहां ठंडक भी हो, सुकून भी और शहर की रौनक भी। नवाबी तहज़ीब के इस शहर में ऐसी कई जगहें हैं, जहां आप गर्मियों में भी आराम से समय बिता सकते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको लखनऊ की 10 ऐसी खास जगहों की जानकारी देंगे, जहां आप न सिर्फ घूम सकते हैं बल्कि इतिहास, संस्कृति और मनोरंजन का भी मजा ले सकते हैं। 1. अम्बेडकर पार्क, गोमती नगर क्या खास है: गुलाबी पत्थरों से बना यह विशाल स्मारक गर्मियों की शाम को घूमने के लिए परफेक्ट है। पानी की फव्वारों की ठंडी फुहारें और शांत माहौल हर किसी को सुकून देते हैं। कैसे जाएं: गोमती नगर में स्थित यह पार्क चारबाग रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किमी दूर है। ऑटो, कैब या बस से आसानी से पहुंच सकते हैं। 2. लखनऊ जू (नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर) क्या खास है: बच्चों और परिवार के लिए बेहतरीन जगह। गर्मियों की सुबह में यहां प्राकृतिक छांव, हरियाली और जानवरों की दुनिया देखने का अलग ही आनंद है। कैसे जाएं: चारबाग स्टेशन से करीब 3 किमी दूर है। सिटी बस या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है। ...