अगर हम हिंदी में किसी से बात करें तो हिंदी में ही करें। बेवजह हिंदी में अंग्रेजी के शब्द डालने की जरूरत नहीं है। या फिर अंग्रेजी में ही बात करें। हम अंग्रेजी के चक्कर में कई हिंदी के शब्द भूलते जा रहें हैं। आश्चर्य होता है कि आज हिंदी पढ़ाने वाले भी रोमन में हिंदी पढ़ा रहें हैं। पांच मिनट भी बहुत से लोग सही तरीके हिंदी नहीं बोल पाते फिर बहाना कि मेरी हिंदी कमजोर है। यह कह कर हिन्दीवाले ही खुश होते हैं। ऐसे लोगों की अंग्रेजी भी कभी सुनिएगा... एक परिचित डॉक्टर हैं उनके बेटे को पब्लिक स्कूल में हिंदी बोलने पर जमकर डांट लगी। डॉक्टर पिता स्कूल पहुँचे तो उन्हें भी खूब सुनने को मिला। फिर क्या डॉक्टर साहब ने ऐसी अंग्रेजी बोली कि प्रिंसिपल साहब चुप। डॉक्टर साहब यहीं नहीं रुके बोले कि हिंदी बोलने वाले अपने बेटे को वह एमबीबीएस करा कर रहेंगे।आज उनका बेटा एमडी कर दिल्ली एम्स में है। डाक्टर साहब कहते हैं कि अंग्रेजी में भले डाक्टरी की पढ़ाई की इलाज तो अपनी भाषा में करनी है। पढ़े लिखे मरीज भी हिंदी में ही मर्ज की दवा समझते हैं। जिस भाषा में सहज हैं उसी में बोलिए...
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