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हम दो हमारे कितने?

मोहन भागवत का "तीन बच्चे" बयान: विज्ञान, राजनीति और इतिहास से जुड़ी गहराई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जिसने जनसंख्या नीति पर नई बहस छेड़ दी। उनका कहना था कि हर भारतीय परिवार को कम से कम तीन बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्होंने यह राय केवल भावनात्मक आधार पर नहीं रखी, बल्कि इसके पीछे उन्होंने वैज्ञानिक तर्क और सामाजिक चिंताओं का हवाला दिया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में कई राज्य "हम दो, हमारे दो" जैसी नीतियों पर विचार कर रहे हैं। स्वाभाविक है कि भागवत का तीन बच्चों वाला सुझाव जनसंख्या नीति और देश की सामाजिक संरचना को लेकर नए सवाल खड़ा करता है। इस लेख में हम इस बयान के वैज्ञानिक और राजनीतिक आधारों को समझेंगे और उन महापुरुषों का जिक्र करेंगे जो अपने परिवार की तीसरी, चौथी या पांचवीं संतान होकर भी इतिहास बदल गए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण जनसंख्या विज्ञान में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है Replacement Level Fertility (RLF) । इसका मतलब है कि किसी समाज को स्थिर बनाए र...